मेष लग्न में लग्नेश मंगल का मिथुन राशि में होने का प्रभाव !

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मेष लग्न में लग्नेश मंगल होते है , लग्नेश की भूमिका व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण होता है ! लग्नेश मंगल का तीसरे भाव में विराजमान होना शुभ है , तीसरे भाव के नैसर्गिक करक गृह मंगल होते है ! इसके फलसवरूप हम कह सकते है मंगल का स्थान अच्छा है , लेकिन मंगल का मिथुन राशि में विराजमान होना नकारात्मक है , मंगल अपनी शत्रु राशि में विराजमान है इसलिए जातक मंगल से मिलने वाला सकरात्मक फल में कमी आएगी और नकरात्मक फल भी देखने मिल सकते है ! मेष लग्न होने से जातक जोश से भरा हुआ , उत्साहवर्धक , युद्ध से सम्बंधित ज्ञान के प्रति आकर्षण रखने वाला , बहादुर होता है ! मंगल के तीसरे भाव में होने के फलसवरूप जातक बहुत पराक्रमी ,जिद्दी , अधिक बहादुर एवं जोखिम उठाने वाला होता है ! जातक गुस्से एवं क्रोधी प्रविर्ती का भी होता है ! मंगल के तीसरे भाव में होने के फलसवरूप स्पोर्ट्स में रूचि लेने वाला हो सकता है ! मंगल का मिथुन राशि में तीसरे भाव में विराजमान होने के फलसवरूप अगर जातक लग्न चार्ट में बुध की स्थिति सकारात्मक रही तो जातक मगल के प्रभाव से मिलने वाला विशेष
एनर्जी का इस्तेमाल जातक द्वारा प्रबंधित तरीके से किये जा सकता है ! मंगल के मिथुन राशि में होने से बुध भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होते है , इसके फलसवरूप जातक की वाणी कट्टु , रौब वाली हो सकती है ! मंगल की पहली दृष्टि छठे भाव में होगी जोकि जिसके फलसवरूप जातक का मामा पक्ष से विवाद की स्थिति भी देने वाला होता है , मंगल का यह दृष्टि प्रभाव लोगो के साथ झगडे की स्थिति भी देने वाला हो सकता है , लेकिन जातक अपने पराक्रम के प्रभाव से दुश्मन पर हावी रह सकता है ! मंगल की दूसरी दृष्टि भाग्य भाव पर धनु राशि में होगी इसके फलसवरूप जातक के भाग्य उदय में मंगल के छेत्र की मंगल की एवं गुरु की भूमिका देखि जा सकती है ! ऐसा जातक प्रॉपर्टी से सम्बंधित व्यापार करके जीवन में सफल होते देखा जा सकता है ! ऐसा जातक धार्मिक छेत्रो में भी आगे आकर कार्य करने वाला हो सकता है , धार्मिक छेत्रो में भी रूचि रखने वाला हो सकता है ! मंगल की तीसरी दृष्टि दशम भाव में होगी जहा मकर राशि बनेगी जो की मंगल ऊंच राशि है ! ऐसा जातक पॉपर्टी स सम्बंधित कार्य करके बड़ा मुकाम हासिल करने वाला हो सकता है , ऐसा जातक कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में भी सफल हो सकता है ! ऐसे जातक को अपने से निचे कार्य करने वाले कर्मचारियों के साथ मधुर व्यव्हार रखना चाहिए जिसके की उसके शनि सुप्पोर्टीवे बने रहे ! अगर जातक अपने कर्मचारियों का अनादर करता है तो जातक को इसके नकारात्मक फल के तौर पर अपने व्यापर में घटा देखने को मिल सकता है ! जातक जितना अपने कर्मचारियों के साथ मधुर व्यव्हार रखेगा उतना ही उसका उन्नित होता रहेगा ! ऐसे जातक को मंगल से सम्बंधित एवं बुध से सम्बंधित किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ एवं ॐ बुद्धाये नमः का जाप करना चाहिए ! जो भी प्रभाव बतया गया है यह सामान्य प्रभाव है संपूर्ण प्रभाव के करीब पहुंचने के लिए जातक लग्न चार्ट में विराजमान सभी ग्राही की स्थिति को देखना महत्वपूर्ण होगा !

मिथिलेश सिंह !

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