इस संयोग में मंगल अपनी नीच राशि में होकर चतुर्थ भाव में विराजमान हो रहे है ! लग्नेश का नीच राशि में विराजमान होना नकारात्मक है ! इसके फलसवरूप जातक के व्यक्तित्व में मंगल के प्रभाव से नकारात्मक फल देखने को मिल सकता है ! इस संयोग में चतुर्थ भाव के भावकारक एवं भावपति दोनों ही चन्द्रमा है इसके फलसवरूप चन्द्रमा नकारात्मक रूप से प्रभावित होंगे ! जातक का मन अशांत , चिड़चिड़ा, गुस्से वाला , क्रोधी ,अभद्र व्यवहार वाला , झगड़ालू प्रविर्ती वाला हो सकता है ! जातक को हडियो से सम्बंधित समस्याएं देखने को मिल सकता है ! माता के स्वस्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है , जातक जनता को प्रताड़ित कर सकता है , जनता उसे नापसंद करने वाली हो सकती है , जातक अपने बल के प्रभाव से अपने लिए जमीं जायदाद और सुख सुविधाओं को प्राप्त करने का प्रयास कर सकता है , मंगल के नीच राशि में चतुर्थ भाव में होने से जातक मांगलिक भी हो जायेगा , घर में अशांति की स्थिति को जन्म देने वाला मंगल का नकारात्मक प्रभाव हो सकता है ! मंगल की पहली दृष्टि सप्तम भाव पर होगी जिसके फलसवरूप जातक के व्यक्तित्व में काम की प्रविर्ती बढ़ेगी और जातक कैसे भी गृह के नकारात्मक प्रभाव से अपने भोगो को पूरा करने वाला हो सकता है , जीवन साथी के साथ वाद -विवाद की स्थिति के साथ अट्रैक्शन भी देखा जा सकता है ! मंगल की दूसरी दृष्टि दशम भाव पर होगी जहा मंगल की ऊंच राशि बनगे जिसके प्रभाव से जातक प्रापर्टी का व्यापर करने वाला हो सकता है , लेकिन उसके तरीके नकारात्मक देखे जा सकते है ! मंगल की तीसरी दृष्टि कुम्भ राशि में एकादश भाव में बनेगी जिसके प्रभाव से जातक दिन रात लाभ को प्राप्त करने का सोचने वाला हो सकता है ! अपने लाभ के लिए नैतिकता को छोड़ने वाला हो सकता है , ऐसे जातक को अपने साथ काम करने वाले कर्मचारियों के साथ वाद विवाद से बचने का प्रयास करना चाहिए , जातक जितना अपने कर्मचारियों का ख्याल रखेगा उसके लिए सकारात्मक रहेगा नहीं तो जातक को शनि के प्रभाव से नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है !
जातक को नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए , मोती पहनना चाहिए और शिव लिंग पर जल अभिषेक कर ॐ नमः शिवाय का जाप भी करना चाहिए !
मिथिलेश सिंह

