मेष लग्न में लग्नेश मंगल का वृश्चिक राशि एवं अष्टम भाव में होने का प्रभाव !

इस संयोग में लग्नेश मंगल है , अष्टमेश मंगल है एवं अष्टम भाव के कारक ग्रह शनि है ! इसके फलसवरूप जातक के व्यक्तित्व में अष्टम भाव के प्रभाव विशेष देखे जाएंगे ! समान्य तौर पर मेष लग्न के लग्नेश मंगल के होने से जातक ऊर्जावान, उत्साहवर्धक , जोशीला , युद्ध का विशेष ज्ञान रखने वाला , उग्र , स्वाभाव वाला होता है ! जातक शरीर से मजबूत , क्रोधी होता है , हार स्वीकार करने वाला नहीं होता है ! धैर्य की कमी व्यक्तित्व में देखि जाती है ! ऐसे जातक में अष्टम भाव के क्षेत्र के प्रति रूचि भी देखि जाती है ! इस संयोग में मंगल का सम्बन्ध शनि से हो रह है क्यों की अष्टम भाव के करक शनि है इसके फलसवरूप हमें पता चलता है , जातक को अपने जीवन में थोड़ा ज्यादा संघर्ष करना पड़ सकता है , जातक गूढ़ ज्ञानी हो सकता है ,ज्योतिष के प्रति रूचि रखने वाला हो सकता है , खोजबीन वाला जातक हो सकता है , अचानक धन भी प्राप्त होने की स्थिति बन सकती है , जातक लोवेटरी, शतता मार्किट , शेयर ट्रेडिंग में रूचि लेने वाला हो सकता है ! जातक को अचानक धन प्राप्ति की स्थिति अष्टम भाव के क्षेत्र से हो सकती है ! जातक को अपने किसी कुटुंब से अचानक प्रॉपटी का लाभ हो सकता है ! ऐस जातक को बड़े भाई से भी आर्थिक लाभ होने की स्थिति बन सकती है ! ऐसे जातको को अपने मित्रो से भी लाभ हो सकता है ! ऐसे जातक को हमेशा ही नैतिक होकर कार्य करना चाहिए अगर ऐसा करता है तो जातक के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकता है ! जातक की वाणी दूषित हो सकती है ,वाणी उग्र ,थोड़ा अग्रेसिव हो सकती है ! जातक को रक्तचाप , ह्रदय सम्बन्धी परेशानियों से सावधान रहना चाहिए , खून सम्बन्धी परेषानी से सावधान रहना चाहिए ! हडियो एवं चोट चपेट से सावधान रहना चाहिए ! ऐसे जातक को अपने मित्र से एवं सहयोगी कर्मचारियों से विवाद से बचना चाहिए ! ऐसे जातक का पराक्रम धन अर्जित करने को लेकर हो सकता है ! छोटे भाई से थोड़ी अनबन हो सकती है सावधानी बरतने की आवश्यकता है ! ऐसे जातक को हनुमान चालीसा का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए फायदेमंद रहेगा !

मिथिलेश सिंह

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