मेष लग्न में लग्नेश मंगल होते है एवं अष्टमेश भी मंगल ही होते है , मेष लग्न का जातक मंगल के विशेष प्रभाव में होता है , ऐसा जातक दिलेर ,बहादुर,जोशीला ,उत्साहवर्धक ,कभी हर नहीं मानने वाला होता है ! युद्ध क्षेत्र में विशेष पराक्रम दिखाने वाला एवं युद्ध से सम्बंधित ज्ञान को जानने के प्रति रूचि रखने वाला होता है ! ऐसा जातक गूढ़ ज्ञानी भी होता है ,शटा ,मार्किट,शेयर ट्रेडिंग ,ज्योतिष इन सभी के प्रति रूचि रखता है ! मंगल का द्वादश भाव में होना बताता है की जातक के व्यक्तित्व का सम्बन्ध द्वादश भाव से , एवं अष्टमेश का सम्बन्ध द्वादश भाव से हो रहा है ! इसके फल सवरूप जातक विदेश जाने के प्रति रूचि रखने वाला हो सकता है , आध्यात्मिक हो सकता है , खर्चीले स्वाभाव वाला हो सकता है , अष्टमेश का द्वादश भाव में होना विपरीत राजयोग के रूप में भी देखा जा सकता है ! मंगल की पहली दृष्टि पराक्रम भाव पर मिथुन राशि में होगी इसके फलस्वरूप जातक पराक्रमी हो सकता है , छोटे भाई से थोड़े विवाद की स्थति को जन्म देने वाला यह दृष्टि प्रभाव हो सकता है ! वयक्तित्व का सम्बन्ध बुध से होने के फलसवरूप जातक बुद्धिमानी से अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाला हो सकता है ! मंगल की दूसरी दृष्टि कन्या राशि में छठे भाव में होगी इसके फलसवरूप जातक अपने दुश्मनो पर हावी हो सकता है ,जातक विवाद से घिरा हो सकता है , कोर्ट कचहरी से समबन्धित मामलो से ऑपरेशन रह सकता है , हड्डियों से , एवं ,खून से सम्बंधित शारीरिक परेशानियों से जातक को सावधान रहना चाहिए ! मंगल का द्वादश भाव में होने से जातक मांगलिक भी होगा एवं मंगल की तीसरी दृष्टि सप्तम भाव में होगी , मगल की तीसरी दृष्टि , काम प्रविर्ती में वृद्धि करने वाली होगी ,जातक बहुत अधिक कामुक हो सकता है , जीवन साथी से मतभेद को बढ़ने वाला यह दृष्टि प्रभाव हो सकता है , साझेदारी में किसी प्रकार के काम से जातक को बचना चाहिए ! मंगल का द्वादश भाव में होना चरित्र को कमजोर करने वाला हो सकता है , जातक चारित्रिक पतन के कारण जेल जाने वाला भी हो सकता है ! जो भी प्रभाव बताया गया है ये समान्य प्रभाव है सभी ग्राही की स्थति के अनुसार यह प्रभाव काम या ज्यादा भी हो सकते है !
ऐसे जातक को शिवलिंग पर जल अभिषेक करना चाहिए , एवं ॐ नमः शिवाय का जाप भी करना चाहिए , साथ में जातक को हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए !
मिथिलेश सिंह

