वृषभ लग्न एवं मेष राशि होने पर सूर्य के लग्न भाव में होने के प्रभाव !

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इस संयोग में जातक का लग्न वृषभ है जिसके फलसवरूप जातक स्थिर स्वाभाव का हो सकता है , भोग विलास के प्रति आकर्षण की स्थिति देखि जायेगी , जातक जीवन में लक्ज़री लाइफ जीने का प्रयास करेगा ! इस संयोग में हमें पता चल रहा है ,सूर्य अपनी शत्रु की राशि में विरजमान हो रहे है , इसके फलसवरूप सूर्य शुक्र से प्रभावित होंगे और शुक्र सूर्य से प्रभावित होंगे !

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सामान्य तौर पर पर जब सूर्य के लग्न भाव मे होने के कारण जातक यशश्वी , सम्मान वाला , पिता के प्रभाव में रहने वाला , बड़ा ऊंच सरकारी अधिकारी होता है ! राजनीती में बड़ी सफलता वाला होता है ! प्रखर वक्त होता है , अच्छा लीडर होता है ! किसी के अधीन रहना पसंद नहीं करता है ! इस संयोग में सूर्य के वृषभ लग्न में होने के कारन जातक में विशेष स्थिर किसी भी विषय पर सटीक फैसले लेने की छमता बढ़ेगी , जो भी पद हासिल करेगा , धन दौलत प्राप्त करेगा उसे भोग विलास में खर्च कर सकता है ! सूर्य के लग्न भाव में होने से जो भी नकारात्मक पक्ष आएगा ..जैसे जातक अहंकारी , गुस्सा वाला हो जाता है , रक्त चाप , ह्रदय रोग से सम्बंधित समस्याओ को देता है ! लेकिन यहाँ हमें पता चलता है जातक अपने गुस्से को नियंत्रित करने का प्रयास करेगा , अहंकार को प्रदर्शित करने से बचने का प्रयास करेगा !यहाँ जो रकत चाप से सम्बंधित समस्या या ह्रदय रोग से सम्बंधित समस्याओं को सूर्य के लग्न भाव में होने से परेशानी देखने को मिलता है उसमे जातक का वृषभ लग्न होना के कारन कमी आने की स्थिति बनेगी ! लेकिन इस संयोग में जातक को शुक्र से सम्बंधित जो सकरात्मक फल होता है उसमे कमी लाने में सूर्य की भूमिका देखि जायेगी ! साथ में जातक को शुक्र से सम्बंधित परेशानियों को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता होगी ! जातक अपने गुस्से पर ज्यादा प्रभावी तरीका से अपना नियंत्रण बनाकर रखने वाला हो सकता है ! इस संयोग में जातक की राशि मेष है इसके फल सवरूप जातक के मन में विदेश के प्रति , अध्यात्म के प्रति , वैराग्य के प्रति आकर्षण देखा जा सकता है ! माता पक्ष का , माता का सम्बन्ध विदेश से हो सकता है ! ऐसा जातक दिखावे की मानसिकता वाला भी हो सकता है , अपना पराक्रम दिखावे पर लगा सकता है ! मन में धैर्य की कमी देखि जाएगी ! हारना स्वीकार नहीं होगा , इस संयोग में शुक्र जो सूर्य के लग्न भाव में होने से अग्नि तत्त्व बढ़ेगा उसको नियंत्रित करने में अपनी भूमिका निभाएंगे , लेकिन वही दूसरी तरफ मंगल जो राशि के स्वामी है मन पर एवं व्यक्तित्व पर अग्नि तत्त्व की मात्रा बढाने में अपनी भूमिका निभाएंगे ! इस संयोग में लग्न एवं राशि के अनुसार शुक्र एवं मंगल का संयोग है इसके फल सवरूप जातक के व्यक्तीत्व में , मन पर भोग विलास की प्रविर्ती बढ़ेगी ! लेकिन जातक सभी भोग विलास को करने के साथ अपने मान सम्मान को बचाकर रखने की कोशिश करेने वाला होगा ! हो सकता है उसमे वो कामयाब भी रहे ! जो भी सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव बताया गया है वो कितना सकारात्मक या कितना नकारात्मक प्रभाव होगा वो निर्भर करेगा सभी ग्रह की स्थिति किस प्रकार की है लग्न चार्ट में , कितने सकारत्मक या नकारात्मक होकर विराजमान है ! सभी ग्रहो की स्थिति लग्न चार्ट देखने के बाद ही पूरा प्रभाव पता चल पायेगा यह सामान्य प्रभाव हो सकता है !

जातक को इस नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए , शिवलिंग पर जल अभिषेक करना चाहिए , ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए , महा मृतुन्जय मंत्र (ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ ) का भी जाप करना चाहिए और गायत्री मंत्र (ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्”. )

मिथिलेश सिंह

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